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107 वर्ष पहले आज ही हुई थी एक बड़ी घोषणा


107 वर्ष पहले आज ही हुई थी एक बड़ी घोषणा



दिल्ली के बसने-उजड़ने की प्रक्रिया में 12 दिसंबर तारीख सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। आखिर इसी दिन तो दिल्ली दरबार में भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित करने का एलान हुआ था। इसके बाद 13 फरवरी, 1931 को दिल्ली को आधिकारिक तौर पर राजधानी घोषित किया गया। दरअसल, उस समय भारत के शासक किंग जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर, 1911 में दिल्ली दरबार में इसकी आधारशिला रखी थी। जानकारी के मुताबिक, 12 दिसंबर, 1911 की सुबह 80 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौजूदगी में ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम ने कोलकाता से दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा की थी।

फिर बाद में ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर हरबर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस ने नए शहर की योजना बनाई थी। इस योजना को पूरा करने में दो दशक लग गए थे। आखिरकार 13 फरवरी, 1931 को आधिकारिक रूप से दिल्ली देश की राजधानी बनी।

क्या है



13 जून, 1912 को जार्ज एससी के नेतृत्व में दिल्ली टाउन प्लानिंग कमेटी का गठन हुआ। मशहूर आर्किटेक्ट एडविन लुटियन और उनके साथी हर्बर्ट बेकर 1912 में दिल्ली आए। इन्होंने ही कोरोनेशन पार्क की जमीन को तंग और मलेरिया के खतरे से भरी बताते हुए अनफिट करार दे दिया। फिर शुरू हुई नई जमीन की खोज जो रायसीना हिल पर आके रुकी। किंग्सवे कैंप पर जॉर्ज पंचम का लगाया पत्थर रातों रात चार मील दूर लगे इस रायसीना हिल पर पंहुचा दिया गया। यह बात मई 1913 की है। जहां ये पत्थर रखे गए आगे चल कर वहीं पर ये नॉर्थ और साउथ ब्लाक बने। रायसीना हिल्स की बंजर और पथरीली पहाड़ियों के आसपास देश की राजधानी की सबसे शानदार इमारतें बनाने का काम हुआ। मालचा गांव के पीछे की जमीन पथरीली थी, सो वहां पत्थर की खदान बनाई गई और पत्थर ढोने के लिए एक रेलवे लाइन भी बिछाई गई।राजीवचौक तब कीकर के जंगलों से घिरा गांव था-माधोगंज गांव। 1920 में कनॉट प्लेस का काम शुरू हुआ। घोड़े की नाल के आकार में बना ये बाजार उस वक्त यूरोप के बाजारों को खूबसूरती और शानो शौकत में पूरी टक्कर देता था। ज्यों-ज्यों कनॉट प्लेस की चमक-दमक बढ़ती गई। खूबसूरत इमारतें, सीपी के सर्कल, जनपथ बाजार और अब मेट्रो बनती गईं विकास की गाथा में माधोगंज का भुतहा जंगल खत्म कर दिया। और कनॉट प्लेस वैश्विक पटल पर भारत  एक पहचान बन गया।पूरे 20 साल की तैयारी के बाद 15 फरवरी 1931 को औपचारिक तौर पर नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ। अंग्रेजों ने देश पर राज करने के लिए दिल्ली में डेरा डाल लिया था। हालांकि अंग्रेजों ने 1881 में ही सेंट स्टीफंस कॉलेज बना दिया और 1899 में हिंदू कॉलेज बनकर तैयार हो गया। 1917 में रामजस कॉलेज भी बन चुका था। इसलिए अंग्रेज यूनिवर्सिटी के नाम पर अनमने थे, लेकिन दबाव बना तो 1922 में तीनों कॉलेजों को मिलाकर बना दिल्ली विश्वविद्यालय। 14-15 अगस्त 1947 की आधी रात हिंदुस्तान ने आजादी की फिजा में सांस ली। उस समय दिल्ली 36 साल की हो चुकी थी। अब गोरों का नहीं आम हिंदुस्तानियों का राज था। 15 अगस्त 1947 को मानों पूरी दिल्ली संसद भवन पर उमड़ आई। गुलामी की जंजीरें टूटने की खुशी देश के बंटवारे के घाव के साथ आई। अपना सब कुछ लुटा कर आए लाखों शरणार्थियों के लिए नई जिंदगी की नई उम्मीद थी। कई कॉंलोनियां बसने लगीं। लाजपतनगर, राजेन्द्रनगर, निजामुद्दीन, ईस्ट पंजाबी बाग, ग्रेटर कैलाश, किंग्सवे कैंप जैसे इलाकों में बस्ती बसी। 50 और 60 के दशक में विकास की बयार बही। 1956 में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी एम्स बनकर तैयार हुआ। 1961 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का दिल्ली में कैंपस खोलने का 16 साल पुराना सपना भी साकार हो गया। 1969 में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय बना। 1962 में दिल्ली हवाई अड्डा उस जगह शिफ्ट हुआ जहां आज इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का टर्मिनल-थ्री यानी टी 3 है। दिल्ली के एतिहासिक पड़ाव में राष्ट्रमंडल खेलों, दिल्ली मेट्रो की जहां सौगात है वहीं दंगे आज भी दर्द का सबब बनते हैं।

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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