किराये की कोख' के कारोबार पर लगेगी लगाम
अब 'किराये की कोख' का कारोबार नहीं हो सकेगा। इस पर लगाम लगाने से संबंधित विधेयक को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। वैसे विधेयक में कुछ मामले में 'किराये की कोख' के सहारे संतान प्राप्ति का अधिकार दिया गया है। स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि समाज के सभी वर्गों ने 'किराये की कोख' के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने की मांग की थी।
क्या है
इसमें परिवार के सदस्यों कोख किराये पर लेने की छूट दी गई है। लेकिन यह साफ नहीं किया गया है कि परिवार में किन-किन लोगों को माना जाएगा। एक बार कानून बनने के बाद इसके लागू करने के लिए नियमों और दिशानिर्देशों को बनाते समय इसे साफ किया जाएगा। लगभग तीन दर्जन संशोधनों के साथ पास विधेयक पर बहस के दौरान टीएमसी और राकांपा की ओर से धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए समलैंगिक जोड़ों को भी 'किराये की कोख' लेने की छूट देने की मांग की गई। जबकि नड्डा का कहना कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी 377 में शादी की इजाजत नहीं दी है। इसीलिए समलैंगिक जोड़ों को परिवार नहीं माना जा सकता है। नड्डा के अनुसार आधुनिक समाज की मांग और भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए 'किराये की कोख' को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है।विधेयक में विदेशी जोड़ों के लिए भारतीय महिलाओं की कोख किराये पर लेने को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। यही नहीं शादीशुदा जोड़े भी शादी के पांच साल बाद ही संतान के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी तरह से पुरुषों के लिए 55 साल और महिलाओं के लिए 50 साल की अधिकतम सीमा भी तय कर दी गई है। उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा के बाद अब इस विधेयक को चालू सत्र में ही राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
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