सीओपी 24 के लिए कार्योत्तर स्वीकृति
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 2-15 दिसंबर, 2018 तक कातोविसे, पोलैंड में आयोजित यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के बारे में 24वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी) के दौरान भारत के दृष्टिकोण के बारे में बातचीत करने के लिए कार्योत्तर मंजूरी प्रदान की है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया था। इस बैठक में पोस्ट- 2020 अवधि के दौरान पेरिस समझौते को लागू करने के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने के बारे में ध्यान केन्द्रित किया गया था। भारत का दृष्टिकोण यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों और प्रावधानों से निर्देशित था। इसमें इक्विटी और सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमता के सिद्धांतों (सीबीपीआर-आरसी) पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया।
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क्या है
भारत ने पेरिस समझौते के बारे में अपनी प्रतिबद्धता को दोहरायाऔर सामूहिक रूप से पेरिस समझौता लागू करने के लिए अपने वायदों को शामिल करते हुए सीओपी-24 के दौरान अपने नेतृत्व के बारे में प्रकाश डाला। पर्यावरण सुरक्षा के बारे में अपने परम्परागत स्वभाव के अनुरूप भारत सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन की चिंताओं से निपटने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। ये प्रयास जलवायु कार्रवाई की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। सौर ऊर्जा से प्राप्त 24 गीगावाट बिजली क्षमता सहित 74 गीगावाट की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को अर्जित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को गति प्रदान की गई है। इससे अंतर्राष्ट्रीय सौर समझौता, ऊर्जा दक्षता प्रयासों जैसे उदाहरणों के माध्यम से इसे सोलर ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के अपने उद्देश्य से विश्व में शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है।यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि विकासशील देशों की कार्रवाई को वित्त, क्षमता निर्माण और विकसित देशों के तकनीकी समर्थन सहित सतत और पर्याप्त साधनों से मदद मिली है। विकासशील देशों को समझौता लागू करने के साधन उपलब्ध कराने तथा विकसित देशों को जलवायु वित्त के निर्धारित स्तरों के बारे में स्पष्टता लाने के लिए विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने के लिए विकसित देशों की बाध्यता को अपनाया गया मार्गदर्शन ही संचालित करता है। सभी पक्ष अमेरिका के 100 बिलियन डॉलर से नए सामूहिक वित्तीय पोस्ट- 2020 लक्ष्य को स्थापित करने के लिए कार्य शुरू करने पर सहमत थे।कुल मिलाकर भारत के दीर्घकालिक हितों की सुरक्षा की गई। भारत ने जीएसटी प्रक्रिया के उत्पादन में इक्विटी पर सोच-विचार की जरूरत के संबंध में ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी) निर्णय के बारे में अमेरिका की शंका को व्यक्त किया है। यह गरीबों और सीमांत लोगों की कमजोरियों, समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य को सुनिश्चित करने के लिए पेरिस समझौते के आदेश के अनुसार जीएसटी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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