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107 साल पहले गाया गया था राष्ट्रगान ‘जन गण मन’




किसी देश का राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान उसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान होता है। साथ ही देशवासियों के लिए सबसे सम्मान का प्रतीक भी माना जाता है। भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ पहली बार आज से ठीक 107 साल पहले, 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता (तब कलकत्ता) अधिवेशन के दौरान बंगाली और हिंदी भाषा में गाया गया था। राष्ट्रगान लिखने वाले देश के नोबल पुरस्कार प्राप्त राष्ट्रकवि गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर थे। उन्होंने वर्ष 1911 में ही इस गीत की रचना की थी। उन्होंने पहले राष्ट्रगान को बंगाली में लिखा था। बाद में आबिद अली ने इसका हिंदी और उर्दू में रूपांतरण किया था। 24 जनवरी 1950 को आजाद भारत की संविधान सभा ने इसे अपना राष्ट्रगान घोषित किया था।

क्या है

खुद गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर ने ही अपने इस गीत का 1919 में अंग्रेजी अनुवाद ‘दि मॉर्निंग सांग ऑफ इंडिया’ किया था। इसके बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू के विशेष अनुरोध पर अंग्रेजी संगीतकार हर्बट मुरिल्ल ने इसे ऑर्केस्ट्रा की धुनों पर भी गाया था। गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने ही बांग्लादेश का राष्ट्रगान (अमार सोनार बांग्ला) भी लिखा था।राष्ट्रीय प्रतीकों और चिन्हों की तरह राष्ट्रगान के सम्मान को बरकरार रखने के लिए भी कानून बनाया गया है। राष्ट्रगान की आचार संहिता के तहत राष्ट्रगान गाते समय नियमों और नियंत्रणों के समुच्चय को लेकर भारतीय सरकार समय-समय पर निर्देश देती है। राष्ट्रगान को गाए जाने की कुल अवधि 52 सेकेंड है। इसे 49 से 52 सेकेंड के बीच ही गाया जाना चाहिए। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है। इसमें प्रथम और अंतिम पंक्तियां ही बोलते हैं। इसमें लगभग 20 सेकेंड का समय लगता है।राष्ट्रगान का अपमान करने या इसे गाने से रोकने या परेशान करने पर संबंधित व्यक्ति अथवा ग्रुप के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टु नेशनल ऑनर एक्ट-1971 की धारा-3 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसके अपमान का दोषी पाए जाने पर तीन वर्ष कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए राष्ट्रगान में पांच पद हैं। राष्ट्रगान के रूप में इसके पहले पद को ही अपनाया गया। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने ही अपनी आजाद हिंद फौज में ‘जय हे’ नाम से इस गीत को अपनाया था। जन गण मन का पहली बार प्रकाशन 1912 में तत्वबोधिनी नामक पत्रिका में हुआ था। तब इसका शीर्षक रखा गया था भारत विधाता। तेलंगाना के जम्मीकुंटा गांव और हरियाणा में फरीदाबाद जिले के भनकपुर गांव में हर सुबह सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाया जाता है।राष्ट्रगान को लेकर पहला विवाद 1987 में सामने आया था, जो सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। केरल के एक स्कूल के कुछ विद्यार्थियों को स्कूल ने इसलिए निकाल दिया था, क्योंकि उन्होंने राष्ट्रगान गाने से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई के दौरान पता चला कि ये विद्यार्थी स्कूल में राष्ट्रगान के दौरान इसके सम्मान में खड़े होते थे। इस पर अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा था कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान का सम्मान करता है, लेकिन उसे गाता नहीं है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वह उसका अपमान कर रहा है।राष्ट्रगान को लेकर एक शुरूआत में एक और अजीबो-गरीब विवाद खड़ा हो गया था। इसके बारे में कहा जाने लगा था कि इसे जॉर्ज पंचमकी प्रशंसा में लिखा गया है। इस विवाद पर स्वयं गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने भी उस वक्त खंडन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि सिनेमाघरों में फिल्म खत्म होने के बाद राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए। भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को भी 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के साथ ही मान्यता प्रदान की गई थी। इसका स्थान भी राष्ट्रगान के समकक्ष है। इसकी रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने सात नवंबर 1876 को बंगाल के कांतल पाड़ा गांव में की थी। इसके पहले दो पद संस्कृत में और शेष पद बंगाली भाषा में थे। राष्ट्रकवि रविंद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को स्वरबद्ध किया था। इस गीत को भी सबसे पहले कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में 1896 को गाया गया था। बाद में अरविंदो घोष इसका अंग्रेजी में और आरिफ मोहम्मद आरिफ खान ने इसका उर्दू में अनुवाद किया था।
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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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