सीएससी के जरिए होगी सातवीं आर्थिक गणना
देश में इस साल होने वाली आर्थिक गणना के आंकड़े जुटाने का काम कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के ग्रामीण उद्यमी करेंगे। सरकार ने करीब 15 लाख ग्रामीण उद्यमियों के जरिए गणना का बुनियादी ढांचा तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। इन उद्यमियों को प्रशिक्षण देने का काम सरकार ने शुरू कर दिया है। इसी वर्ष देशभर के 20 करोड़ परिवारों से आर्थिक आंकड़े जुटाने के लिए सातवीं आर्थिक गणना का काम पूरा किया जाना है। सरकार देशभर के ढाई लाख से अधिक सीएससी के नेटवर्क को इस तरह की गणना कराने के लिए स्थायी बुनियादी ढांचे के तौर पर देख रही है। यही वजह है कि सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सीएससी ई-गवर्नेस सर्विसेज इंडिया लिमिटेडके साथ करार किया है।
क्या है
सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रलय ने सीएससी के राज्य-स्तरीय प्रतिनिधियों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें मंत्रालय के अधिकारियों के अतिरिक्त राज्यों के एनएसएसओऔर अन्य प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। मंत्रालय में सचिव प्रवीर श्रीवास्तव ने कहा कि देश में सीएससी की मौजूदा संख्या अपने आप में बड़ी ताकत है। असल में सांख्यिकी मंत्रालय अपने आंकड़ों की गुणवत्ता की वजह से जाना जाता है। लेकिन मंत्रालय के पास केवल 160 अधिकारियों का नेटवर्क है। सीएससी से करार के बाद मंत्रालय न केवल देशभर का डाटा कम समय में एकत्र कर पाएगा, बल्कि सीएससी एक राष्ट्रीय असेट के तौर पर भी तैयार होगा।सांख्यिकी विभाग में आर्थिक गणना विभाग के उप महानिदेशक डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि आर्थिक गणना से प्राप्त क्वालिटी डाटा सरकार को नीति निर्माण में मदद करता है। इस गणना में सीएससी की डिजिटल ताकत का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा क्योंकि अब सर्वे करने वाली पहली इकाई से ही डाटा डिजिटल स्वरूप में मिलना शुरू हो जाएगा।सीएससी एसपीवी के सीईओ डॉ. दिनेश त्यागी ने कार्यशाला में हिस्सा लेते हुए कहा कि ग्रामीण उद्यमियों की क्षमता असीमित है। इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ ही महीनों में सीएससी ने आयुष्मान भारत के तहत 14 राज्यों में एक करोड़ से अधिक लोगों को पंजीकृत करने में सफलता हासिल की है। परिवारों के सर्वे में महिलाओं के महत्व को स्वीकार करते हुए त्यागी ने कहा कि सीएससी में 65,000 महिला उद्यमी हैं जिनका लाभ इस कार्य में मिलेगा। इस आर्थिक गणना के जरिए देशभर में प्रोफेशनल गणनाकारों का बुनियादी ढांचा तैयार होगा और इससे 15 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
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